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Last Modified: गुरूवार, 28 ऑगस्ट 2014 (15:34 IST)

कपोल झरती मदें शुण्डा बहु साजे : श्रीगणेश आरती

कपोल झरती मदें शुण्डा बहु साजे।
शेंदुर जो घवघवीत अद्धुत सुविराजे।
घागरियांचा घोळ पदीं घुळघुळ वाजे।
प्रसन्नवदना देवा ध्याना सुख माजे।।1।।
 
जय देव जय देव गजनरवेषा।
आरती ओवाळू तुजला विश्वेशा ।।धृ।।
 
विशेष महिमा तुझा नकळे गणनाथा।
हरिसी संकट विघ्ने तापत्रयव्यथा।
अखण्ड आनंदे तू डोलविसी माथा।
ताण्डवनृत्य करिसी तातक् धिम ताथा।। जय।। 2।। 
 
विद्या धनसंपदा कनकाच्या राशी।
नारी सुत मंदिरे सर्वहि तू देशी। 
निर्वाणी पावशी वेगीं भक्तांसी।
गोसावीनंदन गातो कवितांशी।। जय ।।3।।