शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  1. धर्म
  2. »
  3. गणेशोत्सव
  4. »
  5. गणेश स्तवन
Written By वेबदुनिया|

श्रीहरितालिकेची आरती

WD
जय देवी हरितालिके। सखी पार्वती अंबिके। आरती ओवाळीतें।
ज्ञानदीपकळिके।। धृ.।।

हरअर्धांगी वससी। जासी यज्ञा माहेरासी।
तेथें अपमान पावसी। यज्ञकुंडींत गुप्त होसी। जय. ।।1।।

रिघसी हिमाद्रीच्या पोटी। कन्या होसी तू गोमटी।
उग्र तपश्चर्या मोठी। आचरसी उठाउठी ।।जय. ।।2।।

तापपंचाग्निसाधनें। धूम्रपानें अधोवदनें।
केली बहु उपोषणें। शंभु भ्रताराकारणें। ।।जय.।।3।।

लीला दाखविसी दृष्टी। हें व्रत करिसी लोकांसाठी।
पुन्हां वरिसी धूर्जटी। मज रक्षावें संकटीं।। जय.।। 4।।

काय वर्ण तव गुण। अल्पमति नारायण।
मातें दाखवीं चरण। चुकवावें जन्म मरण। जय. देवी।।5।।