शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By वेबदुनिया|

सहस्त्रदीपें दीप कैसी प्रकाशली प्रभा।

सहस्त्रदीपें दीप कैसी प्रकाशली प्रभा।
उजळल्या दशदिशा गगना आलीसे शोभा।।1।।

कांकड आरती माझ्या कृष्ण सभागिया।
चराचर मोहरलें तुझी मूर्ती पहाया।।धृ।।

कोंदलेंसे तेज प्रभा झालीसे एक।
नित्य नवा आनंद ओंवाळितां श्रीमुख।।2।।

आरती करितां तेज प्रकाशलें नयनीं।
तेणें तेजें मीनला एका एकीं जनार्दनीं।।3।।