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Last Modified: बुधवार, 2 ऑगस्ट 2023 (14:20 IST)

श्री श्रीधरस्वामींची आरती

mata ki Aarti
जयदेव जयदेव सद्गुरु श्रीधरा। स्वामी श्रीधरा। आरती ओंवाळूं तुज परात्परा।। जय.।। ध्रु.।।
 
अनंत अक्षय अद्य अपार आनंदा। भक्तोद्धारासाठी होसी मूर्तसदा।
अपार कीर्ती तव हि न कळे स्मतिवेदा। भक्ता अभय दे‍ऊनि मिळविसी त्वत्पादा ।।1।।।
 
त्रिगुणी सचराचरी तूं सर्वव्यापी। पतीतपावन करण्या ज्ञानामृत ओपी।
स्वयंब्रह्म साक्षात् श्रीधररुपी। मानवतनु धारी हा ब्रह्मस्वरुपी ।।2।।
 
चिन्मय त्रिगुणातित त्रिलोक पालक। सचराचरी व्यापक तूं परिपूर्ण एक।
धमाधर्म निमित्त केवळ निष्टंक। भववारिधी तारु तूं सकळासी एक ।।3।।।
 
सत्यज्ञानानंद ब्रह्मचि सदा। जीवेशाही सर्व ही निरवुनिया भेदा।
निजपदी रमवुनि जो का घालवो आपदा। तो हा श्रीधर वंदू तारित जो बद्धा ।।4।।
 
ओवाळावी तव या चरणी मम काया। अहं मति ही सारी निरसी गुरुराया।।
तारी तारी माते सोडून हि माया। मम मानस मिळवी हे चिन्मय तव पाया ।। 5।।