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Last Modified: मंगळवार, 3 जून 2025 (12:42 IST)

श्री प्रेतराज सरकार की आरती

जय प्रेतराज कृपाल मेरी, अरज अब सुन लीजिये |
मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ , नाथ दर्शन दीजिये ||
 
मैं करूँ विनती आपसे अब तुम दयामय चित्त धरो |
चरणों का ले लिया आसरा, प्रभु वेग से दुःख मेरा हरो ||
 
सिर पर मुकुट कर में धनुष, गल बीच मोतियन माल है |
जो करें दर्शन प्रेम से, सब कटत भाव के जाल है ||
 
जब पहन दस्तर खडग बाई बगल में ढाल है |
ऐसा भयंकर रूप जिसको देख डरपत काल है ||
 
अति प्रबल सेना विकत योद्धा, संग में विकराल है|
सब भूत प्रेत पिशाच बाँधे, कैद करते हाल है ||
 
तव रूप धरते वीर का, करते तैयारी चलन की |
संग में लडाके जवान, जिनकी थाह नहीं बलन की ||
 
तुम सब तरह सामर्थ्य हो, सकल सुख के धाम हो |
दुष्टों के मारनहार हो, भक्तों के पूरण काम हो ||
 
मैं हूँ मति का मंद मेरी, बुद्धि को निर्मल करो |
अज्ञान का अँधेरा उर में ज्ञान का दीपक धरो ||
 
सब मनोरथ सिद्ध करते, जो कोई सेवा करे |
तंदुल, बूरा , घ्रत, मेवा, भेंट ले आगे धरे ||
 
सुयश सुनके आपका, दुखिया तो आये दूर से |
सब स्त्री अरु पुरुष आकर पड़े हैं चरण हुजूर के ||
 
लीला है अदभुत आपकी महिमा तो अपरंपार है |
मैं ध्यान जिस दिन धरत हूँ, रच देना मंगलाचार है ||
 
सेवक गणेशपुरी महंत जी की, लाज तुम्हारे हाथ है |
करना खता सब माफ़ उनकी, देना हरदम साथ है||
 
दरबार में आयो अभी, सरकार में हाजिर खड़ा |
इंसाफ मेरा अब करो, चरणों में आकर गिर पड़ा ||
 
अर्जी बमूजिब दे चुका, अब गौर इस पर कीजिये |
तत्काल इस पर हुक्म लिख दो, फैसला कर दीजिये ||
 
महाराज की यह स्तुति, कोई नियम रूप से गाया करे |
सब सिद्ध कारज होये, उनके रोग पीड़ा सब हरे ||
 
भक्त सेवक आपके, उनको नहीं विसराइये |
जय जय मनायें आपकी, बेड़े को पार लगाइये ||