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Last Modified: शनिवार, 27 जून 2020 (14:15 IST)

संत तुकारामांचे शब्दावरील सुंदर काव्य

घासावा शब्द | तासावा शब्द | 
तोलावा शब्द | बोलण्या पूर्वी ||
शब्द हेचि कातर | शब्द सुईदोरा 
बेतावेत शब्द | शास्त्राधारे ||
 
बोलावे मोजके | नेमके, खमंग, खमके | 
ठेवावे भान | देश, काळ, पात्राचे
 
बोलावे बरे | बोलावे खरे | 
कोणाच्याही मनावर | पाडू नये चरे ||
 
कोणाचेही वर्म | व्यंग आणि बिंग |
जातपात धर्म |  काढूच नये ||
 
थोडक्यात समजणे | थोडक्यात समजावणे | 
मुद्देसुद बोलणे | हि संवाद कला
 
शब्दांमध्ये झळकावी |  ज्ञान, कर्म भक्ती |
स्वानुभवातून जन्मावा |  प्रत्येक शब्द |
 
शब्दां मुळे दंगल | शब्दां मुळे मंगल | 
शब्दांचे हे जंगल | जागृत राहावं || 
 
जीभेवरी ताबा | सर्वासुखदाता | 
पाणी, वाणी, नाणी | नासू नये ||