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Last Modified: शनिवार, 29 ऑगस्ट 2020 (11:15 IST)

दशरथकृत शनी स्तोत्राने समस्या होतील दूर, मिळेल शनिदोषापासून मुक्ती

जी व्यक्ती शनी ग्रह, शनी साडसाती, शनि ढैय्या किंवा शनी महादशा याने पीडित असेल त्याने दशरथकृत शनी स्तोत्र पाठ नियमित रुपाने करावे. हे पाठ केल्याने भगवान शनी प्रसन्न होतात आणि त्याच्या जीवनातील सर्व समस्यांपासून मुक्ती मिळून जीनव मंगलमय होते.
 
दशरथकृत शनि स्तोत्र
 
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
 
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
 
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ
वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
 
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
 
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं
योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
 
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
 
देवासुरमनुष्याश्च
सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु
मे
देव
वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद
सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।