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Last Modified: बुधवार, 12 फेब्रुवारी 2025 (18:21 IST)

श्री नृसिंह सरस्वती अष्टक Shri Nrusingh Sarswati Ashtak

Shri Nrusingh Sarswati Ashtak Lyrics in Marathi
|| श्री नृसिंह अष्टकम ||
 
इंदु कोटि तेजकीर्ण सिंधुभक्त वत्सलं।
नंदनासुनंदनेंदु इंदिराक्ष श्री गुरुम्।
गंध माल्य अक्षतादि वृंद देव वंदितं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥१॥
 
माया पाश अंध:कार छायादूर भास्करं।
आयताक्षी पाहि श्रीयावल्ल्भेश नायकं।
सेव्य भक्ती वृंदवरद भूयो भूयो नमाम्यहं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥२॥
 
चित्तजादि वर्गषटक मत्तवारणां कुशं।
तत्वसार शोभीतात्म दत्त श्री वल्लभं।
उत्तमावतार भूत कर्तू भक्त श्री वत्सलं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥३॥
 
व्योम रवी वायु तेज भूमी कर्तुमीश्वरं।
काम क्रोध मोह रहित सोम सूर्य लोचनं।
कामितार्थ दांतभक्त कामधेनू श्री गुरुं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥४॥
 
पुंडरीक आयताक्ष कुंड्लेंदु तेजसं।
चंडदुरीत खंडनार्थ दंडधारी श्री गुरुं।
मंडलीक मौलीमार्तंड भासिता नं नं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥।५॥
 
वेदशास्त्र स्तुत्य पाद आदिमूर्ती श्री गुरुं।
नादकलातीत कल्प पाद पाय सेव्ययं।
सेव्य भक्ती वृंदवरद भूयो भूयो नमाम्य हं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥।६॥
 
अष्टयोग तत्वनिष्ठ तुष्ट ज्ञान नवारिधीं।
कृष्णा वेणीतीर वास पंच नद्य संगमं।
कष्ट दैन्य दूर भक्त तुष्ट काम्य दायकं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥।७॥
 
नारसिंह सरस्वतीश नाम अष्ट मौक्तिकं।
हार कृत्य शारदेन गंगाधराख्या स्यात्मजं।
वारुणीक देवदिक्ष गुरुमुर्ती तोषितं।
परमात्मा नंदश्रीया पुत्रपौत्र दायकं।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥।८॥
 
नारसिंह सरस्वतीश अष्टकंच य: पठेत।
घोर संसार सिंधु तारण्याख्य साधनं।
सारज्ञान दीर्घ मायुरारोग्यादि संपदाम।
चातुर्वर्गकाम्य लोका वारंवार य: पठेत।
वंदयामी नारसिंह सरस्वतीश पाहिमां॥।९॥
 
इति श्री गुरुचरित्रांतर्गत श्री नरसिंहसरस्वती अष्टक संपूर्णम |