बुधवार, 18 डिसेंबर 2024
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Last Modified: बुधवार, 18 डिसेंबर 2024 (06:00 IST)

इंदुकोटी तेजकिरण स्तोत्र

इन्दुकोटितेज करुण-सिन्धु भक्तवत्सलं ।
नन्दनात्रिसूनु  दत्त, इंदिराक्ष श्रीगुरुम्  ॥
गंधमाल्य अक्षतादि - वृंददेववंदितं ।
वंदयामि  नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम्  ॥१॥
 
मायपाश - अंधकारछायदूरभास्करं ।
आयताक्ष  पाहि श्रियावल्लभेश – नायकम्  ॥
सेव्य – भक्तवृंद  वरद, भूयो-भूयोनमांम्यहं ।
वंदयामि  नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम् ॥२॥
 
चित्तजादिवर्गषट्क – मत्त वारणांकुशम् ।
तत्वसारशोभितात्मदत्त श्रियावल्लभम्  ॥
उत्तमावतार भूत-कर्तृ भक्तवत्सलं ।
वंदयामि  नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम् ॥३॥
 
व्योमरापवायुतेज – भूमिकर्तुमीश्वरम्  ।
कामक्रोधमोहरहित सोमसूर्य-लोचनम्  ॥
कामितार्थदातृ भक्त – कामधेनु श्रीगुरूम्  । 
वंदयामि  नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम् ॥४॥
 
पुंडरीक  – आयताक्ष, कुंडलेंदुतेजसम्  ।
चंडदुरितखंडनार्थ  दंडधारि श्रीगुरुम्  ॥
मंडलीकमैलि – मार्तंड - भासिताननं ।
वंदयामि  नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम् ॥५॥
 
वेदशास्त्रास्तुत्यपाद, आदिमूर्ति श्रीगुरुम्  ।
नादबिंदुकलातीत, कल्पपादसेव्ययम्  ॥
सेव्यभक्तवृंदवरद भूयो भूयो नमाम्यहम्  ।
वंदयामि  नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम् ॥६॥
 
अष्टयोगतत्वनिष्ठ, तुष्ट ज्ञानवारिधिम्  ।
कृष्णावेणितीरवास - पंचनदी - संगमम्  ॥
कष्टदैन्यदूरिभक्त – तुष्ट्काम्यदायकम्  ।
वंदयामि  नारसिंह - सरस्वतीश पाहि माम् ॥७॥
 
नारसिंहसरस्वतीश्च – नाम अष्ट्मौक्तिकम्  ।
हारकृत शारदेन गंगाधर – आत्मजम्  ॥
धारणीक – देवदीक्ष गुरूमूर्तितोषितम्  ।
परमात्मानंदश्रियापुत्र - पौत्रदायकम्  ॥८॥
 
नारसिंहसरस्वतीय अष्टकं च य: पठेत्  ।
घोरसंसारसिन्धु - तारणाख्यसाधनम्  ॥
सारज्ञानदीर्घ आयुरारोग्यादिसंपदम्  ।
चारूवर्गकाम्यलाभ वारंवार यज्जपेत्  ॥९॥