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Last Updated : बुधवार, 14 फेब्रुवारी 2024 (12:14 IST)

आरती सरस्वतीची Saraswati Aarti

आरती सरस्वतीची
जयदेव जयदेव जय अद्वयमूर्ति । सच्चिदानंदेंद्र श्रीसरस्वती ॥धृ॥
स्वगतादिक भेदाचा जेथें मळ नाहीं ।
नानाभारी विवर्जित निजवस्तु पाहीं ।
सर्व श्रुतीचा अन्वय जाला जे ठायीं ॥
तें हें ब्रह्म गुरुरूप जाणा लवलाहीं ॥१॥
ज्याच्या सत्तामात्रें जग सर्वहि विलसे ॥
जैसें रज्जूवरुते सर्पत्व भासे ।
नामरूपात्मक सर्वहि कल्पांतीं नासे ॥
परि हे निश्चळ निर्मळ सद्रुप अविनाश ॥२॥
ज्याच्या प्रकाशयोगें रविशशिचा महिमा ।
मनबुद्धयादिक इंद्रिय वर्तति निजकर्मा ॥
सर्व प्रकाशक अलिप्त कर्म आकर्मां ।
ज्ञानाज्ञानावांचुनि ज्ञानचि नि:सिमा ॥३॥
परिच्छेद त्रय नसती ज्यालागीं ।
ऐशा अनंत स्वरूपा ध्यावी निजयोगी ॥
दु:खाचा संस्पर्श न दिसे त्य आंगीं ।
नीरंजन होउनिया विचरति नि:संगी ॥४॥
-निरंजनस्वामीकृत आरती
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सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा माम पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्याऽपहा ॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥
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सरस्वती आरती
 
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता
 
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता
 
चन्द्रबदनि पद्मासिनि, कृति मंगलकारी
मैय्या कृति मंगलकारी
सोहे शुभ हंस सवारी, सोहे शुभ हंस सवारी
अतुल तेज धारी
जय जय सरस्वती माता
 
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला
मैय्या दाएं कर माला
शीश मुकुट मणि सोहे, शीश मुकुट मणि सोहे
गल मोतियन माला
जय जय सरस्वती माता
 
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया
मैय्या उनका उद्धार किया
बैठी मंथरा दासी, बैठी मंथरा दासी
रावण संहार किया
जय जय सरस्वती माता
 
विद्यादान प्रदायनि, ज्ञान प्रकाश भरो
जन ज्ञान प्रकाश भरो
मोह अज्ञान की निरखा, मोह अज्ञान की निरखा
जग से नाश करो
जय जय सरस्वती माता
 
धूप, दीप, फल, मेवा, माँ स्वीकार करो
ओ माँ स्वीकार करो
ज्ञानचक्षु दे माता, ज्ञानचक्षु दे माता
जग निस्तार करो
जय जय सरस्वती माता
 
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावै
मैय्या जो कोई जन गावै
हितकारी सुखकारी हितकारी सुखकारी
ज्ञान भक्ति पावै
जय जय सरस्वती माता
 
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता
जय जय सरस्वती माता
 
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता
 
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सरस्वतीची संगीत आरती
आरती ब्रह्मकुमारीला - वागेश्वरी शारदेला ॥ धृ. ॥
निर्मला श्वेत कोमलांगा - त्रिगुणात्मिका पूर्ण रंगा सत्कती पुण्य धर्म संगा - अविद्या पाप ताप भंगा ॥
मुखांबुज चंद्रबिंब शोभा - कांतिकुमार, दिव्य सुमहार, कंठि नगभार शोभती ब्रह्मचारिणीला ॥ १ ॥
शंख विधु कुंद धवलवासातुषार प्रभा इंदु हासा मयूरावृता निकट हंसा-विधुन्निभा
तेज भाषाकमलासना शुभ्रदीप्ती - वरदकर चार, ज्ञान अवतार, बुद्धि आधार, चंद्रिका - सुधारत्न भाला ॥ २॥
वीणा अक्षरसूत्रमाला - प्रतिमा - ग्रंथ करी धरिला दृष्टिन त्रिताप तम - शमला -
विष्णुशिव करिती दनाला - अंबिका नृत्य गानशीला स्फूर्तिसंभार,
काव्य विस्तार कल्पनासार, भावना - सरस्वती बाला ॥ ३ ॥ वागेश्वरी ॥
 
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