शुक्रवार, 8 नोव्हेंबर 2024
  1. धर्म
  2. हिंदू
  3. आरती संग्रह
Written By

श्रीपादवल्लभाची आरती

दिगंबरा दिगंबरा श्रीपादवल्लभ दिगंबरा। आरती हे तव चरणी राहो।। आरती हे तव चरणी राहो।। नति तति गुरुवरा।। दिगंबरा.।।
दिग्भरवेष्टितमबभ्रमेव प्रत्यम्बृह्मेति। खं ब्रह्मोति श्रुतिरपि वदति। खं ब्रह्मोति श्रुतिरपि वदति दिगंबराचेति।।1।।
दिगवत् चाम्बरमेव व्यापक पूर्णब्रह्मोति। सच्चित्सुखघनमायातीत सच्चितसुखघनमायातींत दिगंबरा व‍दति।। 2।।
श्रीपादवल्लभ नाम प्राप हि नक्रगजेंद्रमिव। द्रौपघंबरीषचोर द्रौपघंबरीषचोर ग्रसितद्विजमेव।। 3।।
दिगंबरा गुरु वासुदेव दत्तस्त्वं ब्रह्म। कामक्रोधग्रसितं मां लभ। कामक्रोधग्रसितं मां लभ तथैव झटिति वह।। 4।।