रविवार, 28 एप्रिल 2024
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Lalita Panchami 2023 ललिता पंचमी संपूर्ण माहिती

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Lalita Panchami 2023 आश्विन शुद्ध पंचमीच्या दिवशी ललिता पंचमी हे व्रत करतात. हे काम्य व्रत असून स्त्री पुरुषांना हे व्रत करता येते. ललिता देवी ही या व्रताची देवता आहे. ललिता पंचमी ही शारदीय नवरात्र उत्सवातील महत्त्वाचा दिवस मानली गेलेली तिथी आहे. याला उपांग ललिता व्रतही म्हणतात. या पूजा विधीमुळे विद्या, धन, संपत्ती व प्रतिष्ठा प्राप्त होते.
 
हिंदू पंचागानुसार अश्विन महिन्याच्या पाचव्या दिवशी ललिता पंचमी साजरी केली जाते. यावर्षी ही तारीख 19 ऑक्टोबर 2023 आहे. जर आपण मुहूर्ताबद्दल बोललो तर अश्विन महिन्याची पंचमी तिथी 19 ऑक्टोबर 2023 रोजी सकाळी 1:12 वाजता सुरू होईल, जी 20 ऑक्टोबर 2023 रोजी पहाटे 12:31 वाजता समाप्त होईल. अशा परिस्थितीत ललिता पंचमीचे व्रत करणारे 19 ऑक्टोबर रोजी उपवास ठेवणार आहेत.
 
ललिता पंचमी हे व्रत धनप्राप्ती, विद्या प्राप्ती तसेच सर्व इच्छा पूर्ती होण्यासाठी केले जाते. या दिवशी स्त्रिया रात्री एकत्र जमून देवीची गाणी आरती करतात. स्वतः च्या परसदारी तयार झालेल्या कोवळ्या काकड्या आणि दूध असा रात्री प्रसाद म्हणून खाण्याची पद्धत आहे.
 
ललिता पंचमी पूजा पद्धत
यात एखाद्या करंडकाचे झाकण देवीचे प्रतीक म्हणून पूजेला घेतात. सकाळी आघाड्याच्या काडीने दंतधावन करतात. केळीचे खांब व पुष्पमाला यांनी देवीसाठी मखर तयार करतात. या पूजा विधानात पुष्पांजली अर्पण झाल्यावर गंधाक्षतायुक्त व साग्र असा 48 दुर्वा देवीला वाहतात. ललिता देवीला दूर्वांचा हार अर्पण केला जातो. 
 
नैवेद्यासाठी लाडू, घारगे, वडे, खीर व इतर पदार्थ करतात. पूजेच्या अंती भोपळ्याच्या घारग्यांचे वायन देतात. रात्री जागरण व कथा करतात. दुसर्‍या दिवशी देवीचे विसर्जन करतात.
 
ललिता देवीचे ध्यानमंत्र
 नील कौशेयवसनां हेमाभं कमलासनाम। 
भक्तांना वरदां नित्यं ललितां चिन्तयाम्यहम्।। 
 
''कमलावर अधिष्ठित, निळे, रेशमी वस्त्र परिधान करणारी, सुवर्णकांतीची, भक्तांना नित्य वर देणारी अशा ललितेचे मी चिंतन करतो.'' 
 
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यतानुसार या दिवशी ललिता 'भांडा' नावाच्या राक्षसाचा वध करण्यासाठी प्रकट झाली होती. हा राक्षस कामदेवाच्या राखेने उत्तपन्न झाला होता. या दिवशी भक्त षोडषोपचार विधीने ललिता देवीचे पूजन करतात. ललिता देवीसह स्कन्दमाता आणि महादेवाची शास्त्रानुसार पूजा केली जाते. या दिवशी व्रत करणे अत्यंत फलदायी ठरतं. मान्यता आहे की या दिवशी देवीची आराधना केल्याने देवीची कृपा मिळते आणि जीवनात सुख-समृद्धी आणि शांती नांदते. मान्यतेनुसार या दिवशी व्रत केल्यास सर्व प्रकारचे रोग आणि दुःख दूर होतात.
 
ललिता चालीसा
।।चौपाई।।
 
जयति-जयति जय ललिते माता। तव गुण महिमा है विख्याता।।
तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी। सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।।
 
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी। तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी।।
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी। भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।।
 
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा। चक्र स्वामिनी देह अनूपा।।
हृदय निवासिनी-भक्त तारिणी। नाना कष्ट विपति दल हारिणी।।
 
दश विद्या है रूप तुम्हारा। श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा।।
धूमा, बगला, भैरवी, तारा। भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।।
 
षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी। ललितेशक्ति तुम्हारी संगी।।
ललिते तुम हो ज्योतित भाला। भक्तजनों का काम संभाला।।
 
भारी संकट जब-जब आए। उनसे तुमने भक्त बचाए।।
जिसने कृपा तुम्हारी पाई। उसकी सब विधि से बन आई।।
 
संकट दूर करो मां भारी। भक्तजनों को आस तुम्हारी।।
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी। जय-जय-जय शिव की महारानी।।
 
योग सिद्धि पावें सब योगी। भोगें भोग महा सुख भोगी।।
कृपा तुम्हारी पाके माता। जीवन सुखमय है बन जाता।।
 
दुखियों को तुमने अपनाया। महा मूढ़ जो शरण न आया।।
तुमने जिसकी ओर निहारा। मिली उसे संपत्ति, सुख सारा।।
 
आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी। महाशक्ति जय-जय, भय हारी।।
कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा। लीला ललिते करें अनूपा।।
 
महा-महेश्वरी, महाशक्ति दे। त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।।
महा महा-नन्दे कल्याणी। मूकों को देती हो वाणी।।
 
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी। होता तब सेवा अनुरागी।।
जो ललिते तेरा गुण गावे। उसे न कोई कष्ट सतावे।।
 
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी। तुम हो सर्वशक्ति संचालिनी।।
आया मां जो शरण तुम्हारी। विपदा हरी उसी की सारी।।
 
नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी। सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।।
महिमा तव सब जग विख्याता। तुम हो दयामयी जग माता।।
 
सब सौभाग्य दायिनी ललिता। तुम हो सुखदा करुणा कलिता।।
आनंद, सुख, संपत्ति देती हो। कष्ट भयानक हर लेती हो।।
 
मन से जो जन तुमको ध्यावे। वह तुरंत मन वांछित पावे।।
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली। तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।।
 
मूलाधार, निवासिनी जय-जय। सहस्रार गामिनी मां जय-जय।।
छ: चक्रों को भेदने वाली। करती हो सबकी रखवाली।।
 
योगी, भोगी, क्रोधी, कामी। सब हैं सेवक सब अनुगामी।।
सबको पार लगाती हो मां। सब पर दया दिखाती हो मां।।
 
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी। भण्डासुर की हृदय विदारिणी।।
सर्व विपति हर, सर्वाधारे। तुमने कुटिल कुपंथी तारे।।
 
चन्द्र-धारिणी, नैमिश्वासिनी। कृपा करो ललिते अधनाशिनी।।
भक्तजनों को दरस दिखाओ। संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।।
 
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा। होवे सुख आनंद अधीसा।।
जिस पर कोई संकट आवे। पाठ करे संकट मिट जावे।।
 
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा। पूर्ण मनोरथ होवे सारा।।
पुत्रहीन संतति सुख पावे। निर्धन धनी बने गुण गावे।।
 
इस विधि पाठ करे जो कोई। दु:ख बंधन छूटे सुख होई।।
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें। पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।।
 
सबसे लघु उपाय यह जानो। सिद्ध होय मन में जो ठानो।।
ललिता करे हृदय में बासा। सिद्धि देत ललिता चालीसा।।
 
।।दोहा।।
 
ललिते मां अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम।।
 
ललिता देवी आरती
(जय शरणं वरणं नमो नम:)
 
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी!
राजेश्वरी जय नमो नम:!!
 
करुणामयी सकल अघ हारिणी!
अमृत वर्षिणी नमो नम:!!
 
जय शरणं वरणं नमो नम:
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!
 
अशुभ विनाशिनी, सब सुखदायिनी!
खलदल नाशिनी नमो नम:!!
 
भंडासुर वध कारिणी जय मां!
करुणा कलिते नमो नम:!!
 
जय शरणं वरणं नमो नम:
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!
 
भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी!
शरण गति दो नमो नम:!!
 
शिव भामिनी साधक मन हारिणी!
आदि शक्ति जय नमो नम:!!
 
जय शरणं वरणं नमो नम:!
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!!
 
जय त्रिपुर सुंदरी नमो नम:!
जय राजेश्वरी जय नमो नम:!!
 
जय ललितेश्वरी जय नमो नम:!
जय अमृत वर्षिणी नमो नम:!!
 
जय करुणा कलिते नमो नम:!
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!
 
ललिता देवी दुर्लभ मंत्र
'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।'